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पुलिस के खिलाफ लिखा और शिकायत की तो खैर नहीं
तेजस टूडे ब्यूरो
युसूफ खां
धौलपुर, राजस्थान। हम अंग्रेजों के जमाने के नहीं तो क्या हुआ, कानून तो अंग्रेजों के जमाने का ही है। यह बात फील्ड में तैनात पुलिसकर्मियों के दिमाग में ठूंस-ठूंसकर भरी होती है और इसी के चलते कई भारतीय व राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के साथ-साथ राजनेता, मीडियाकर्मी भी कानून के दुरुपयोग का शिकार हो चुके हैं पर मजाल है कि इतना सब कुछ हो जाने के बाद किसी ने अंग्रेजों के जमाने के कानून व पुलिसकर्मियों के सेवा नियमों को बदलने की मांग की हो। इतना ही नहीं कई न्यायिक अधिकारी भी अंग्रेजों के जमाने के कानून के शिकार हो चुके हैं, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी स्वयं संज्ञान लेकर अंग्रेजों के जमाने के कानून को बदलने के लिए केन्द्ग सरकार से जवाब-तलब नहीं किया है। रविवार को धौलपुर स्थित निहालगंज पुलिस थाने के एक पुलिसकर्मी ने प्रतिबंधित चंबल नदी के रेत (बजरी) के दिन-दहाड़े परिवहन व उत्खनन को लेकर कड़वा सच में प्रकाशित नेताओं को चाहिए वोट, पुलिस को चाहिए नोट की बात को लेकर जहर उगला और पुलिसकर्मियों की कार्यशैली को लेकर सब कुछ उगल दिया। पुलिसकर्मी ने कहा कि पुलिस के खिलाफ शिकायत करने व अखबार में खबर छापने वालों को पता नहीं है कि पुलिस क्या-क्या कर सकती है। पुलिसकर्मी ने कहा कि पुलिस किसी व्यक्ति से भी थोड़ी सी अफीम, गांजा, चरस, हीरोइन सहित अन्य मादक पदार्थों की बरामदी दिखाकर उसे जेल में सड़ा सकती है। इतना ही नहीं उससे अवैध हथियार की बरामदगी दिखाकर जेल की हवा खिला सकती है। राजकार्य में बाधा का कानून तो पुलिसकर्मी अपनी जेब में रखकर चलते हैं। इस आरोप में मुकदमा दर्ज कर जेल की हवा खिलाना तो उनके बाएं हाथ का खेल है।
पुलिसकर्मी यहीं नहीं रुका, उसने और भी कई राज खोलते हुए कहा कि डकैती की योजना बनाते हुए पकड़े जाने के आरोप में भी जेल की हवा तो पक्की है। किसी चोर से नाम लिवाकर गिरफ्तार करना पुलिस के बांए हाथ का खेल है। पुलिस के संपर्क में कई महिलाएं होती हैं, उनसे एक तहरीर लेकर छेड़छाड़ का मामला दर्ज कर जेल भिजवा सकती है। ऐसी कई धाराएं हैं, जिनका सहारा लेकर सभ्रांत व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर सकती है।
पुलिसकर्मी ने वे सभी राज उगल दिए, जो अंग्रेजों के जमाने के कानून व पुलिसकर्मियों के सेवा नियमों को नहीं बदलने के लिए सत्तापक्ष के नेताओं को विवश करते हैं। उसने बताया कि सुप्रीम कोर्ट भी स्वयं संज्ञान लेकर कानून को बदलने के लिए केन्द्ग सरकार से सवाल-जवाब नहीं कर सकता है।
क्या कहते हैं कानूनविद्
कानूनविद् ओमप्रकाश त्यागी का कहना है कि अंग्रेजों के जमाने के कानून को बदलना समय की मांग है। वहीं पुलिसकर्मियों के सेवा नियमों को पूरी तरह बदला जाना चाहिए। केन्द्ग सरकार ऐसा नहीं करती है तो यह कानून आमजन के लिए घातक सिद्ध होगा। अभी तो इसके दुष्परिणाम पूरी तरह परिलक्षित नहीं हो रहे हैं। भविष्य में इसके घातक परिणाम सामने आएंगे। देशवासी गृह युद्ध के लिए विवश हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में तैनात जजों को चाहिए कि वे स्वयं संज्ञान लेकर देश और समाज को बचाने के लिए अंग्रेजों के जमाने के कानून का विश्लेषण कर उसे बदलने के लिए केन्द्ग सरकार से जवाब-तलब करे और किसी निर्दोंष को फंसाकर मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने का उपक्रम किया है तो पुलिस के अनुसंधान अधिकारी से मुआवजा राशि दिलाने का कानून बनाए। इससे न्यायालयों में प्रस्तुत किए जाने वाले झूठे मामलों में काफी गिरावट आएगी।
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