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जिला फोटोग्राफर एसोसियेशन की बैठक 19 को
जौनपुर। नगर के फोटोग्राफर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश जौनपुर इकाई कार्यकारिणी द्वारा 19 अगस्त वर्ल्ड फोटोग्राफी डे पर 11 बजे दिन में सूरज घाट, पचहटिया पर एक कार्यक्रम निर्धारित किया गया है जिसमें जौनपुर इकाई के सभी रजिस्टर्ड व अन रजिस्टर्ड फोटोग्राफरों को आमंत्रित किया जा रहा है जिसमें फोटोग्राफर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा वर्ल्ड फोटोग्राफी डे पर पूरे उत्तर प्रदेश में एक साथ एक ऐप लांच किया जा रहा है जिसके तहत जौनपुर इकाई के सभी फोटोग्राफर द्वारा अपने मोबाइल पर ऐप डाउनलोड करके कार्यक्रम को सफल बनाना है। इसके साथ ही साथ विशेष बिन्दुओ पर चर्चा के बाद सावनी भोज का कार्यक्रम भी निश्चित है। यह जानकारी एसोसियेशन के अध्यक्ष कृष्ण कुमार व जिला प्रभारी चंदन श्रीमाली ने संयुक्त रूप से दी है।

सब कुछ बयां करती हैं मौन तस्वीरें
(फोटोग्राफी दिवस पर विशेष)
कहा जाता है कि समय किसी का इंतजार नहीं करता वह तो चलायमान है किसी के लिए ठहरता भी नहीं। समय को ठीक समय पर कैमरे में कैद करना ही फोटोग्राफी की कला है। हर कुशल फोटोग्राफर की निगाह अपने आब्जेक्टिव पर ही रहती है। अच्छे फोटोग्राफर द्वारा खींचे गयी तस्वीरें मौन रहकर भी सब कुछ बयां कर देती है। कहते हैं कि एक फोटो एक हजार शब्दों के बराबर होती है।
फोटो में भावनाओं, विचारों, अनुभवों, समय में क्षणों को पकड़ने और उन्हें हमेशा के लिए अमर करने की क्षमता होती है। यह डिजिटल दुनिया में संचार के प्राथमिक साधनों में से एक बन गया है।
इस संसार में प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को जन्म के साथ भी एक कैमरा दिया है जिससे वह संसार की प्रत्येक वस्तु की छवि अपने दिमाग में अंकित करता है। वह कैमरा है उसकी आंख। इस दृष्टि से देखा जाए तो प्रत्येक प्राणी एक फोटोग्राफर है। इससे वह दुनिया भर की खूबसूरती को देख सकता है, तस्वीरें ही हैं जो यादों को बरसों तक जिंदा रखती हैं।
जीवन में कुछ ऐसे अनमोल लम्हें होते हैं जिनके बारे में लगता है कि काश ये पल यहीं ठहर जाए। समय को रोक पाना तो हमारी मुट्ठी में नहीं है लेकिन हमारे हाथों में जो एक चीज अक्सर साथ होती है, वह थी कैमरा अब वह मोबाइल कैमरे में बदल गया। हम मोबाइल में कैमरा ऑन करते हैं और उस पल को हमेशा के लिए कैद कर लेते हैं। एक समय था, जब कैमरा काफी महंगा हुआ करता था लेकिन अब तो यह आपकी जेब में पड़े मोबाइल में सिमट चुका है। किसी की बर्थडे पार्टी हो, शादी या अन्य समारोह हो या फिर हम किसी टूर पर निकले हों… तस्वीरों के माध्यम से ही हम अपनी खुशियों को सहेज पाते हैं।
दुनिया भर में 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस के तौर पर मनाया जाता है जिसका उद्देश्य दुनिया भर के फोटोग्राफरों को एकजुट करना, उन्हें पुरस्कृत करना साथ ही उनका उत्साहवर्धन करना होता है।
फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर हमें इसके इतिहास पर भी चर्चा करना जरूरी है। विश्व फोटोग्राफी दिवस हर साल 19 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन फोटोग्राफी के इतिहास का एक विशेष दिन है। विश्व फोटोग्राफी दिवस के इतिहास के साथ हंस का नाम जुड़ा हुआ है। फ्रांस ने ही दुनिया को पहली फोटोग्राफिक प्रक्रिया से अवगत कराया, वह प्रक्रिया एक पल को स्थायी रूप से किसी तस्वीर के माध्यम से कैद करने की थी, फ्रांसीसी लुई डागुएरे ने वर्ष 1839 में डगुएरियोटाइप का आविष्कार किया, मुख्य रूप से यह एक फोटोग्राफिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को औपचारिक रूप से फ्रेंच एकेडमी आफ साइंसेज द्वारा 19 अगस्त 1839 को दुनिया के लिए घोषित किया गया था। 19 अगस्त, 1839 को इस ऐतिहासिक घटना को पूरी दुनिया के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया गया था, इसलिए हर साल इस दिन को विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1839 में फोटोग्राफी में प्रगति देखी जा सकती थी जब थॉमस सटन द्वारा दृश्य पर पहली रंगीन तस्वीर दिखाई दी।
इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के मुताबिक टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स इन्क्लूड ने 1972 में पहला डिजिटल कैमरा पेटेंट कराया था, हालांकि यह जानकारी नहीं है कि यह कभी बना था या नहीं। सबसे पहले 1975 में ईस्टममैन कोडक (ज्ञवकंा) के स्टीवन सैसन नाम के एक इंजीनियर ने एक डिजिटल कैमरा बनाने की कोशिश की थी। इस कैमरे को आम तौर पर पहले डिजिटल स्टैन स्नैपर के रूप में पहचाना जाता था, जो एक प्रोटोटाइप था। इसमें फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर द्वारा विकसित तत्कालीन टेक्नोलॉजी वाले इमेज सेंसर का प्रयोग किया गया था। इस कैमरे का वजन करीब 4 किलोग्राम था और इससे ब्लैक एंड वाइट फोटो खींची गई थी, इसका रिजोलुशन 0.01 मेगापिक्सेल था और दिसंबर 1975 में पहली डिजिटल तस्वीर को रिकार्ड करने में इस कैमरा को 23 सेकंड का समय लगा था।
आज यह खोज विश्व के हर व्यक्ति के हाथ और जेब में कैद हो गया है। अब किसी आयोजन के लिए किसी फोटोग्राफर की जरूरत नहीं है हर व्यक्ति खुद फोटोग्राफर बंद कर अपनी यादों को मोबाइल के कैमरे में समेट रहा है।
कहा जाता है कि एक तस्वीर कुछ और नहीं बल्कि एक विशेष क्षण में भावनाओं का मिश्रित बैग है जिसे फोटोग्राफी की कला के माध्यम से खूबसूरती से व्यक्त किया जाता है। यह तस्वीर क्लिक करने वाले और इसका आनंद लेने वालों को असीमित भावनाओं का संचार करता है।
महत्वपूर्ण फोटोग्राफर-
रघु राय कहते हैं कि इतिहास को दोबारा भी लिखा जा सकता है लेकिन तस्वीरों का इतिहास दोबारा नहीं लिखा जा सकता।
आज फोटोग्राफी दिवस का यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है और आधुनिक दुनिया में इसका विशेष उल्लेख है। अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी दिवस इस यात्रा का विस्तार करता है। सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य युवा पेशेवरों और इच्छुक फोटोग्राफर को एक जुनून के रूप में आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। महत्व में फोटोग्राफी को करियर के रूप में मानने के लिए छात्रों को प्रेरित करना भी शामिल है। फोटोग्राफी एक पुरस्कृत पेशा भी हो सकता है।
रघु राय
जाने-माने भारतीय फोटोग्राफर रघु राय को ऐकेडेमी डि बू-आर्ट्स के फोटोग्राफी पुरस्कार-विलियम क्लेन के पहले विजेता के रूप में चुना गया है। पुरस्कार की शुरूआत इसी वर्ष से, अमेरिका में जन्मे फ्रांसीसी फोटोग्राफर तथा फिल्मकार विलियम क्लेन के सम्मान में की गयी है। क्लेन को फोटोग्राफी की अनोखी तकनीकों के लिए जाना जाता है। संस्था ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘ऐकेडेमी डि बू आर्ट्स के फोटोग्राफी अवार्ड-विलियम क्लेन के लिए जूरी ने वर्ष 2019 के पुरस्कार के लिए फोटोग्राफर रघु राय को चुना है।’’ इसमें फोटोग्राफर को उनके पूरे करियर तथा फोटोग्राफी के प्रति उनकी लगन को देखते हुए सम्मानित किया जाता है। इसके लिए किसी भी राष्ट्रीयता और उम्र के एक फोटोग्राफर को चुना जाता है। यह पुरस्कार हर दो साल में एक बार दिया जाएगा जिसमें 1,20,000 यूरो की पुरस्कार राशि है।
ऐश्वर्या श्रीधर
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर आफ द इयर यह पुरस्कार जीतने वाली देश की पहली लड़की है । ऐश्वर्या ने 11 साल की उम्र से ही फोटोग्राफी शुरू कर दी। ऐश्वर्या को सेंक्चुरी एशिया यंग नैचुरेलिस्ट अवार्ड और इंटरनेशनल कैमरा फेयर अवार्ड भी मिल चुका है। वे महिलाओं से कहना चाहती हैं कि एक महिला होने के नाते अपने सपनों और पैशन को पूरा करने से कभी पीछे न हटें।
दानिश सिद्दीकी
दिल्ली के जामिया से पढ़े दानिश को साल 2018 में पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था, ये अवार्ड उन्हें रोहिंग्या मामले में कवरेज के लिए मिला था. दानिश पहले भारतीय थे जिन्हें पुलित्जर अवार्ड मिला था।
हाल फिलहाल दानिश की वो तस्वीर बहुत चर्चा में आई थी जब दिल्ली के एक श्मशान घाट में ली गई थी। इस एक तस्वीर से पूरी पिक्चर साफ हो रही थी कि कैसे कोरोना की दूसरी लहर में भारत में बहुत ज्यादा मौतें हो रही हैं। दानिश की इस तस्वीर के बाद देश से लेकर दुनिया में कोरोना में सरकारी लापरवाही और मौत की संख्या पर सवाल उठने लगे थे।
इसके अलावा जामिया मिलिया इस्लामिया में नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने वाले लड़के की तस्वीर लेने वाले भी दानिश सिद्दीकी ही थे।
अशोक दिलवाली
इन्हें शिरी अशोक दिलवाली के नाम से भी जाना जाता है। एक लोकप्रिय फोटोग्राफर हैं। 2019 में उन्हें 7वें राष्ट्रीय फोटोग्राफी पुरस्कारों में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। उन्हें 3 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिला।
दिलवाली को हिमालय पर अपने काम के लिए जाना जाता है। उन्होंने प्रकृति और परिदृश्य से संबंधित पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वह सदस्य है इंडिया इंटरनेशनल सेंटर भारत पर्यावास केन्द्र, भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन और रायल फोटोग्राफिक सोसायटी। इसी तरह कुछ और भी फोटोग्राफरों की फेहरिश्त है जिन्होंने समय-समय पर फोटोग्राफी का कौशल दिखाकर विश्व स्तर की प्रतियोगिता में अपना और देश का नाम रोशन किया।
डा. सुनील कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर जनसंचार विभाग
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर।
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