जौनपुर के इस शख्स ने जातिसूचक शब्द से चिढ़ने की जगह उसे ही बनाया कारोबारी आइडिया

मुम्बई। भारत में लोगों को जातिसूचक शब्द से सम्बोधित करना कोई नया चलन नहीं है देश के कई इलाकों में जाति सूचक शब्द से संबोधित करने की वजह से लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते हैं या मारपीट होती है, कई बार तो गोलियां भी चल जाती है। अगर किसी दलित व्यक्ति को अपमानित करने के लिए यूज किए जाने वाले शब्द को वह एक कारोबारी आईडिया बना ले और उसका एक ब्रांड बना ले, तो अब तक ऐसी कोई घटना देखने में सामने नहीं आई है।
देश में दलितों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द चमार का प्रयोग कर मुंबई के धारावी में एक युवक ने चमार स्टूडियो शुरू कर दिया है मुंबई के सुधीर राजभर ने चमार स्टूडियो नाम का एक बिजनेस शुरू किया है जिसमें फैशनेबल हैंड बैग और टोटे बैग आदि शामिल है।
राजभर ने साल 2018 में चमार स्टूडियो (Chamar Studio) की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि मैंने मुंबई में अधिकतर दलित मोची के साथ कामकाज की शुरुआत की वह फुटपाथ पर अपना स्टॉल लगाकर काम करते हैं जब धीरे-धीरे चमार स्टूडियो (Chamar Brand) का काम बढ़ने लगा तो धारावी की कुछ टेनरी में लेदर के क्राफ्ट्समैन से उनकी मुलाकात हुई राजभर के chamar brand के लेदर प्रोडक्ट्स की कीमत ₹1500 से 6000 तक है।
सुधीर राजभर उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं गांव जाने पर उन्हें अपमानित करने के लिए जाति सूचक शब्द सुनने को मिलता था उनका पालन पोषण मुंबई में हुआ है यहां से उन्होंने ड्राइंग और पेंटिंग में स्नातक किया है।
सुधीर ने जाति सूचक शब्द चमार के प्रति सम्मान वापस लाने के लिए इसे ब्रांड बनाने का फैसला किया है. चमार जाति के लोग आमतौर पर चमड़े का काम करते हैं, इसलिए सुधीर ने चमड़े का काम शुरू कर ब्रांड चमार (chamar brand) को स्थापित करने की कोशिश की है। शुरुआत में सुधीर कपड़े के बैग बनाते थे लेकिन फिर उन्होंने चमार शब्द के सम्मान को लोगों के बीच लाने का फैसला किया. chamar brand से लोगों को यह समझाने में आसानी हो रही है कि चमार कोई जाति नहीं बल्कि एक पेशा था, पेशा है।
आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।
The post जौनपुर के इस शख्स ने जातिसूचक शब्द से चिढ़ने की जगह उसे ही बनाया कारोबारी आइडिया appeared first on Tejas Today.