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साढ़े चार सौ साल पुराना इ​तिहास | Watch this Video

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रख-रखाव के अभाव में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा जौनपुर का ऐतिहासिक शाही पुल नाव बन्द होने से नदी पार न कर पायी महिला के रोने पर अकबर ने 1564 में बनवाया है यह पुल विश्व का एकमात्र अनूठा है यह पुल, मगर उपेक्षित होने से यहां नहीं आते कोई पर्यटक   आदि गंगा गोमती के पावन तट पर बसा जौनपुर जो शिराज-ए-हिन्द एवं यमदग्नि ऋषि की तपोभूमि के नाम से विख्यात है, भारत के इतिहास में अपना विशेष स्थान रखता है। यह शहर कभी बौद्ध धर्म का केन्द्र रहा था जब यह उजड़ा था तो एक बार फिर

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इतिहास (History)

जौनपुर एक ऐतिहासिक शहर है। मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर वाराणसी से 58 किलोमीटर और प्रयागराज से 100 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गोमती नदी के तट पर बसा है। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत (1394 और 1479 के बीच) उत्तरी भारत का एक स्वतंत्र राज्य था। वर्तमान राज्य उत्तर प्रदेश जौनपुर सल्तनत के अंतर्गत आता था, जिसपर शर्की शासक जौनपुर से शासन करते थे, जौनपुर का पुराना नाम देवनगरी था (इसका उल्लेख शिवपुराण में भी है) शर्की शासकों ने इसपर कब्जा करके इसका नाम देवनगरी से जौनपुर में परिवर्तित कर दिया। अवधी यहाँ की मुख्य

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